सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हिंदी साहित्य के छायावाद के प्रमुख चार स्तम्भो में से एक थे। इसके अतिरिक्त वे एक लेखक, कहानीकार, कवि, उपन्यासकार, निबंधकार एवं सम्पादक भी थे। परंतु उनकी कविताएं अधिक लोकप्रिय हुई। निराला को प्रगतिवाद, प्रयोगवाद और नई कविता का जनक माना जाता है।